सिंगरौली में भाजपा की बी टीम बनकर काम कर रही आम आदमी पार्टी

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नगर निगम से लेकर नगर परिषद बरगवां तक चल रहा वसूली का खेल , जिम्मेदार मौन , पिस रही जनता

✍🏻एम डी न्यूज – एमपी स्टेट हेड चीफ अरविंद साकेत 6266114236, ✍🏻राइजिग सतना सिंगरौली जिला ब्यूरो चीफ अरविंद साकेत

सिंगरौली (बरगवां):- मध्यप्रदेश की राजनीति में सेंध लगाने वाली आम आदमी पार्टी की एक नई करतूत इन दिनों जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है । गौरतलब हो कि सिंगरौली जिले में आप पार्टी की मेयर के बैठने के बाद लोगों ने कुछ अलग कामों की उम्मीद लगाए बैठे थे लेकिन यथार्थ तो यह सामने आया है कि बीजेपी और आप में कोई विशेष फर्क नही है

बरगवां बाजार बैठकी वसूली के नाम पर मची है लूट –

गौरतलब हो कि नवगठित नगर परिषद बरगवां में अध्यक्ष उपाध्यक्ष और पार्षदों का शपथ ग्रहण नही हुआ था उसके पहले ही बाजार बैठकी के नाम पर उगाही शुरू हो गई। उगाही की प्रचलित दर को देखकर स्थानीय व्यापारियों और वाहन चालकों ने कहा कि नगर परिषद के नाम पर मूलभूत सुविधाओं का तो पता ही नही है लेकिन वसूली चालू हो गई। मालवाहक वाहनों से 200 रू. पर गाड़ी की वसूली कितना जायज है ?

सास कहे बहू से हम करेंगे निगम में माफ, तुम करो परिषद को साफ –

बीते दिनों नगर निगम सिंगरौली की एमआईसी की बैठक में आप नेत्री मेयर रानी अग्रवाल ने निगम क्षेत्र की बाजार बैठकी वसूली माफ करने का फैसला लिया था जो लागू हुआ नही लेकिन वाहवाही लूटने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार कर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास जरूर किया गया । वहीं दूसरी ओर मेयर रानी अग्रवाल की बहू जो नगर परिषद बरगवा की उपाध्यक्ष है और बीजेपी की अध्यक्ष। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अध्यक्ष , उपाध्यक्ष और सीएमओ के हस्ताक्षर से जारी हुआ बैठकी का दर मानक के विपरीत है जिसका कोई तय पैमाना नहीं है । वहीं दूसरी ओर कुछ पार्षदों ने भी विरोध करते हुए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के उपर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा कि जब आधिकारिक तौर पर शपथ ग्रहण हुआ ही नहीं है न ही कोई बैठक हुई फिर किसकी सहमति से ये दर निर्धारित कर दिया गया है । इसके पीछे साफ है कि बीजेपी की अध्यक्ष और आप की उपाध्यक्ष की सहमति और मिलीभगत से ही यह संभव है । तमाम नियमों को ताक पर रखकर ऐसा लग रहा है कि जनता ने इन्हे अपना प्रतिनिधि नही गुंडा बना दिया है जिसका नतीजा अब खुद जनता को सामने दिख रहा है।
वही लोगों ने स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों पर भी अनदेखी का आरोप लगाते हुए सवाल खड़ा कर दिया है।

 

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