28 सालों से प्रशासनिक अव्यवस्था के मकडजाल में फंसी चांउपुर गांव की चकबंदी

इस खबर को सुनें

28 सालों से प्रशासनिक अव्यवस्था के मकडजाल में फंसी चांउपुर गांव की चकबंदी

रिपोर्ट : संपादक डॉo अजय मित्रा
.
हरदोई: जहां एक ओर शासन अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए कटिबद्ध है वही लाल फीता शाही उसे कागजी कार्यवाही में फंसा कर धरातल तक नहीं जाने दे रही है। चांउपुर गांव की चकबंदी इसका जीता जागता उदाहरण है, विदित हो कि वर्ष 1996 में सरकारी गजट के तहत तहसील सवायजपुर के ग्राम चांउपुर की चकबंदी का शासनादेश जारी किया गया था लेकिन 28 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक वहां चकबंदी प्रक्रिया पूर्ण होने की तो बात छोड़ो अभी तक कागजों तक पर चक नहीं कट पाए हैं। गांव के किसानो ने उच्च अधिकारियों से लेकर जिलाधिकारी तक चकबंदी पूर्ण होने की अपनी गुहार लगा रहे हैं लेकिन चकबंदी विभाग के कर्मचारी और अधिकारी अपने उच्च अधिकारियों के आदेशों का परिपालन न करते हुए इस प्रक्रिया को कागजी मकड़ जाल में फंसाये हुए है।

ग्राम प्रधान प्रतिनिधि जितेंद्र सिंह तोमर के साथ कई एक काश्तकारों ने जिलाधिकारी से भेंट कर और उन्हें याद दिलाया कि आपके आदेशों का अनुपालन चकबंदी विभाग नहीं कर रहा है और चांउंपुर की चकबंदी में कोई भी गति नहीं प्राप्त हो रही है। प्रतिनिधि मंडल में समाजसेवी एवं अधिवक्ता तथा चाउपुर गांव के काश्तकार अवनिकांत वाजपेई ने बताया कि वह लगभग 5 वर्षों से वहां के निवासियो और काश्तकारों के साथ चकबंदी आयुक्त से लेकर राजस्व मंत्री तक के पास अपनी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ है और चकबंदी प्रक्रिया बिल्कुल आगे नहीं बढ़ पा रही है। आज इसी क्रम में उन्होंने प्रधान प्रतिनिधि श्री तोमर तथा अन्य काश्तकारों के साथ जिलाधिकारी से मुलाकात कर चकबंदी प्रक्रिया में गति एवं उसे पूर्ण करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, चकबंदी आयुक्त और राजस्व सचिव को भी प्रार्थना पत्र देकर चकबंदी प्रक्रिया शीघ्र संपादित कराए जाने की मांग की।

हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
अभी यहाँ क्लिक करके डाउनलोड करें  
स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now